मुरादाबाद में किया गया बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह का आयोजन
दिनाँक 14 अक्टूबर, 2017 को बहुजन समन्वय समिति (अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ, डाॅ० अम्बेडकर मेमोरियल कमेटी, बौद्ध महासभा सहित सभी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग की संस्थाओं का समूह) के तत्वावधान मे बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह का आयोजन कांशीराम नगर, मुरादाबाद स्थित गौतमबुद्ध पार्क में किया गया। कार्यक्रम में लगभग 2500 लोगों ने बौद्ध धम्म की दीक्षा ग्रहण की। कांशीराम नगर में समारोह में बड़ी संख्या में लोग अपने परिवार के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए। समारोह में उपस्थित बुद्ध मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद जी महाथेरा ने सभी को दीक्षा दिलाई। दीक्षा के लिए कई दिन पहले से रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा था।
दो हिस्सों में हुए समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। हेमन्त कुमार बौद्ध, विजय कुमार सैनी एवं तरन्नुम बौद्ध ने गीत एवं संगीत के जरिए भगवान बुद्ध एवं बाबा साहेब अम्बेडकर के जीवन पर प्रकाश डाला। गीतों से उपासकों को बौद्ध धर्म के संदेश दिए। कार्यक्रम में उपस्थित कवि मनजीत सिंह अवतार ने अपनी कविताओं के द्वारा तालियाँ बटोरीं।
समारोह में मुख्य अतिथि शांति स्वरूप बौद्ध और नामचीन बौद्ध भिक्षु रहे। बौद्धाचार्य शांति स्वरूप बौद्ध ने कहा कि पंचशील का पालन करने वाला कभी गलत काम नहीं कर सकता। पंचशील का अर्थ है, शरीर की शुद्धता, हिंसा न करना, चोरी न करना, गंदे आचरण से विरत रहना, वाणी की शुद्धता। बौद्ध की कोई जाति नहीं होती। पंचशील पर अमल करने वाले बौद्ध होते हैं। हमने आज तक अपनी जाति को नहीं छोड़ा है। संकल्प लेना होगा कि हम पंचशील का पालन करते हुए बौद्ध बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर भारत को बौद्धमय बनाना चाहते थे। धम्म जीवन जीने का सुंदर रास्ता है। भगवान बुद्ध के संबंध में बताते हुए कहा, दुखों के निवारण की खोज में उन्होंने जीवन न्यौछावर कर दिया। बौद्ध धर्म अपनाने वाले मिथ्या नजर त्यागें एवं धम्म मार्ग पर चलें।
कार्यक्रम का संचालन चंदन सिंह रैदास ने किया। समारोह में अम्बेडकर विचारधारा से जुड़े लोगों ने भी बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। प्रमुख लोगों में परमाल सिंह, दौलत सिंह, अशोक निमेश, विनीत सागर, भयंकर सिंह, जितेन्द्र कुमार जौली, मलखान सिंह, अशोक कुमार, राजकमल, महावीर सिंह मौर्य आदि लोग उपस्थित रहे। संयोजक चंदन सिंह रैदास का कहना था कि 1956 में आज के ही दिन बाबा साहब ने अनुयाइयों को दीक्षा दिलाई थी। कार्यक्रम में उपासकों व उपासिकाओं के लिए भोजन और विश्राम की व्यवस्था भी की गई थी।
परम आदरणीय बौधाचार्य जी सादर नमन्।
जवाब देंहटाएंसर।
मुझे बाबा साब की वो किताब चाहिए जिसमे उन 31 व्यक्तियों के विदेश बढाने के लिए भेजा था।
मेरा पता है।
शायर :- एल.सी.जैदिया "जैदि"
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