बुधवार, 2 जनवरी 2019

शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया कोरेगांव विजय दिवस

अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ ने किया विचार गोष्ठी का आयोजन


          दिनाँक 1 जनवरी, 2019 को अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ के तत्वावधान में सिविल लाइंस मुरादाबाद स्थित डॉ० भीमराव अम्बेडकर पार्क में कोरेगांव विजय दिवस की 201वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री दौलत सिंह एवं संचालन संघ के राष्ट्रीय महामंत्री श्री महेंद्र सिंह जी ने किया।



         गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए डॉ0 वी0 एस0 वर्मा जी ने बताया कि कोरेगांव भीमा नदी के तट पर महाराष्ट्र के पुणे के पास स्थित है। 1 जनवरी, 1818 को सर्द मौसम में एक ओर कुल 28 हजार सैनिकों जिनमें 20000 हजार घुड़सवार और 8000 पैदल सैनिक थे, जिनकी अगुवाई ‘पेशवा बाजीराव-II कर रहे थे तो दूसरी ओर ‘बॉम्बे नेटिव लाइट इन्फेंट्री’ के 500 ‘महार’ सैनिक, जिसमें महज 250 घुड़सवार सैनिक ही थे। सिर्फ 500 महार सैनिकों ने किस जज्बे से लड़ाई की होगी कि उन्होंने 28 हजार पेशवाओं को धूल चटा दिया। दूसरे शब्दों में कहें तो एक ओर ‘मनुवादी राज’ बचाने की फिराक में ‘पेशवा’ थे तो दूसरी ओर ‘पेशवाओं’ के पशुवत ‘अत्याचारों’ से ‘बदला’ चुकाने की ‘फिराक’ में गुस्से से तमतमाए ‘महार’। आखिरकार इस घमासान युद्ध में पेशवा की शर्मनाक पराजय हुई। 500 लड़ाकों की छोटी सी सेना ने हजारों सैनिकों के साथ 12 घंटे तक वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी। भेदभाव से पीड़ित अछूतों की इस युद्ध के प्रति दृढ़ता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महार रेजिमेंट के ज्यादातर सिपाही बिना पेट भर खाने और पानी के लड़ाई के पहले की रात 43 किलोमीटर पैदल चलकर युद्ध स्थल तक पहुंचे। यह वीरता की मिसाल है। इस युद्ध में मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक चौकोर मीनार बनाया गया है, जिसे कोरेगांव स्तंभ के नाम से जाना जाता है। यह महार रेजिमेंट के साहस का प्रतीक है। इस मीनार पर उन शहीदों के नाम लिखे हुए हैं, जो इस लड़ाई में मारे गए थे। 1851 में इन्हें मेडल देकर सम्मानित किया गया।

          इस अवसर पर ओ० पी० सागर, चौबा सिंह, हरपाल सिंह बौद्ध, जयपाल सिंह, महावीर प्रसाद मौर्य, डाॅ0 हरनन्दन प्रसाद, परमाल सिंह, मुकेश कुमार गौतम, मेघराज सिंह, दौलत सिंह, महेंद्र पाल सिंह, राजेश कुमार अर्जुन, कृष्ण पाल सिंह, आदि लोग उपस्थित रहे।

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