रविवार, 9 अप्रैल 2017

उत्तर प्रदेश में कुम्हार जाति को नहीं मिलेगा अनुसूचित जाति का लाभ

अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला 

उत्तर प्रदेश में कुम्हार जाति को नहीं मिलेगा अनुसूचित जाति का लाभ


              इलाहाबाद. उत्तर प्रदेश में कुम्हार जाति को अब अनुसूचित जाति का लाभ नहीं मिल सकेगा। हाईकोर्ट ने इस सम्बन्ध में प्रदेश सरकार द्वारा 18 जनवरी, 2014 को जारी शासनादेश को अवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है। अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कहा कि संविधान के अनुसूचित जाति ऑर्डर 1950 में किसी भी प्रकार का संशोधन अनुच्छेद 341 के तहत विधायन के जरिए ही किया जा सकता है।
              18 जनवरी, 2014 के शासनादेश में प्रदेश सरकार ने कुम्हार जाति को अनुसूचति जाति मानते हुए, उनको अनुसूचित जातियों को मिलने वाली सभी सुविधाएं देने का निर्देश दिया था। अखिल भारतीय अम्बेडकर युवक संघ द्वारा शासनादेश को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि प्रदेश सरकार को किसी जाति को अनुसूचित जाति में शामिल करने या बाहर निकालने का अधिकार नहीं है। इसलिए सरकार का आदेश अवैधानिक है।
             हाईकोर्ट ने प्रदेश और केंद्र की सरकारों से मांगा था। प्रदेश सरकार का कोई जवाब नहीं आया। वहीं, केन्द्र सरकार का कहना था कि अनुच्छेद 341, 342 और संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश 1950 में कुम्हार जाति को अनुसूचित जाति में शामिल नहीं किया गया है। इस श्रेणी में शिल्पकार तो हैं, लेकिन कुम्हार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की कई संविधानपीठों ने भी कहा है कि राज्य सरकार, अदालत या किसी अधिकरण को किसी जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के मामले में दखल देने का अधिकार नहीं है।
            इस मामले में राज्य सरकार को सिर्फ संस्तुति करने का अधिकार है। हाईकोर्ट ने 18 जनवरी, 2014 के शासनादेश को रद्द करते हुए कहा कि इस मामले में जारी किए गए जाति प्रमाण पत्रों की वैधता पर प्रदेश और केन्द्र सरकार अपने स्तर से विचार कर निर्णय लें।







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